बुखार: कारण, लक्षण, उपचार और बचाव
बुखार (fever) एक आम लेकिन महत्वपूर्ण चिकित्सीय स्थिति है, जो शरीर के तापमान में असामान्य वृद्धि के रूप में प्रकट होती है। यह आमतौर पर संक्रमण, सूजन, या अन्य बीमारियों के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के रूप में होता है। बुखार अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह किसी अंतर्निहित समस्या का लक्षण है। इस लेख में हम बुखार के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे, जिसमें इसके कारण, प्रकार, लक्षण, उपचार और बचाव के तरीके शामिल हैं।
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1. बुखार क्या है?
बुखार तब होता है जब शरीर का आंतरिक तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। आमतौर पर, एक स्वस्थ व्यक्ति का शरीर का सामान्य तापमान 98.6°F (37°C) होता है। जब यह तापमान 100.4°F (38°C) या उससे अधिक हो जाता है, तो इसे बुखार माना जाता है।
बुखार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो संक्रमण से लड़ने में सहायता करता है। जब शरीर किसी बैक्टीरिया, वायरस या अन्य हानिकारक कारकों से संक्रमित होता है, तो मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस (hypothalamus) नामक भाग द्वारा शरीर के तापमान को बढ़ा दिया जाता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक प्रभावी हो जाती है।
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2. बुखार के कारण
बुखार कई कारणों से हो सकता है। इनमें शामिल हैं:
(i) संक्रामक कारण
1. वायरल संक्रमण – सामान्य सर्दी, फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया, कोविड-19, मीजल्स, मम्प्स आदि।
2. बैक्टीरियल संक्रमण – टाइफाइड, टॉन्सिलिटिस, निमोनिया, ट्यूबरकुलोसिस (टीबी), यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) आदि।
3. फंगल और परजीवी संक्रमण – मलेरिया, डेंगू, स्क्रब टायफस आदि।
(ii) गैर-संक्रामक कारण
1. ऑटोइम्यून विकार – गठिया, ल्यूपस, आदि।
2. एलर्जी और दवाओं का प्रभाव – कुछ दवाएं या टीकाकरण के बाद बुखार आ सकता है।
3. गंभीर बीमारियां – कैंसर, ट्यूमर, हार्मोनल असंतुलन आदि।
4. हीट स्ट्रोक – अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
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3. बुखार के प्रकार
बुखार को उसकी अवधि और गंभीरता के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
(i) अवधि के आधार पर
1. तीव्र बुखार (Acute Fever) – 7 दिन से कम रहता है (जैसे वायरल फीवर)।
2. उप-तीव्र बुखार (Sub-acute Fever) – 7 से 14 दिन तक रहता है (जैसे टाइफाइड)।
3. दीर्घकालिक बुखार (Chronic Fever) – 14 दिनों से अधिक बना रहता है (जैसे टीबी, कैंसर)।
(ii) तापमान के आधार पर
1. निम्न-ग्रेड बुखार (Low-grade Fever) – 100.4°F तक रहता है।
2. उच्च-ग्रेड बुखार (High-grade Fever) – 103°F से अधिक होता है।
3. अत्यधिक बुखार (Hyperpyrexia) – 106°F से अधिक होता है, जो जानलेवा हो सकता है।
(iii) अन्य विशेष प्रकार
1. रुक-रुक कर आने वाला बुखार (Intermittent Fever) – समय-समय पर आता और चला जाता है (जैसे मलेरिया)।
2. सतत बुखार (Continuous Fever) – लगातार रहता है (जैसे टाइफाइड)।
3. पुनरावर्ती बुखार (Relapsing Fever) – कुछ समय के बाद फिर से लौट आता है (जैसे डेंगू, ब्रुसेलोसिस)।
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4. बुखार के लक्षण
बुखार के लक्षण इसकी गंभीरता और कारण पर निर्भर करते हैं।
(i) सामान्य लक्षण
- शरीर का तापमान बढ़ना
- ठंड लगना या कंपकंपी
- पसीना आना
- सिरदर्द
- कमजोरी और थकान
- भूख न लगना
(ii) गंभीर लक्षण
- अत्यधिक तेज बुखार (103°F से अधिक)
- उल्टी और मतली
- तेज दिल की धड़कन
- भ्रम या बेहोशी
- त्वचा पर लाल चकत्ते (डेंगू, मीजल्स में)
यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।
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5. बुखार का निदान
बुखार के सटीक कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांच कर सकते हैं:
1. शारीरिक परीक्षण – बुखार का स्तर, गले में सूजन, त्वचा पर रैश आदि की जांच।
2. रक्त जांच (Blood Test) – सीबीसी, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि की जांच।
3. मूत्र परीक्षण (Urine Test) – यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) का पता लगाने के लिए।
4. एक्स-रे और स्कैन – फेफड़ों के संक्रमण (निमोनिया) या अन्य गंभीर बीमारियों के लिए।
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6. बुखार का उपचार
(i) घरेलू उपचार
1. पर्याप्त आराम – शरीर को ठीक होने के लिए आराम की आवश्यकता होती है।
2. तरल पदार्थों का सेवन – पानी, नारियल पानी, जूस आदि अधिक मात्रा में लें।
3. हल्का और सुपाच्य भोजन – दलिया, खिचड़ी, सूप आदि खाएं।
4. तापमान नियंत्रण – ठंडी पट्टी (cold compress) माथे पर रखें।
(ii) दवाएं
1. पेरासिटामोल (Paracetamol) – हल्के से मध्यम बुखार के लिए।
2. इबुप्रोफेन (Ibuprofen) – अधिक तापमान में उपयोगी।
3. एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – यदि बुखार का कारण बैक्टीरियल संक्रमण हो।
(iii) चिकित्सकीय उपचार
- यदि बुखार 3 दिनों से अधिक बना रहे, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
- तेज बुखार (103°F से अधिक) में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।
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7. बुखार से बचाव
(i) सामान्य सावधानियां
1. स्वच्छता बनाए रखें – नियमित रूप से हाथ धोएं।
2. संतुलित आहार लें – प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए।
3. पर्याप्त पानी पिएं – शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
4. संक्रमण से बचें – बीमार व्यक्ति से उचित दूरी बनाए रखें।
(ii) टीकाकरण
कई संक्रामक रोगों (मीजल्स, मम्प्स, कोविड-19) से बचने के लिए टीके उपलब्ध हैं।
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