पुरुषों में डिप्रेशन के लक्षण
भूमिका:-
डिप्रेशन, जिसे अवसाद भी कहा जाता है, एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है जो व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित करता है, लेकिन पुरुषों में इसके लक्षण अक्सर अलग तरीके से प्रकट होते हैं। समाज में पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वे मजबूत और भावनात्मक रूप से स्थिर रहें, जिसके कारण वे अपनी मानसिक स्थिति को दूसरों से छिपाने की कोशिश कर सकते हैं। इस लेख में, हम पुरुषों में डिप्रेशन के लक्षणों को विस्तार से समझेंगे और यह भी जानेंगे कि इसका प्रभाव उनके जीवन पर कैसे पड़ता है।
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पुरुषों में डिप्रेशन क्यों अलग होता है?
डिप्रेशन का अनुभव हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है, लेकिन पुरुषों में यह अक्सर महिलाओं से अलग रूप में प्रकट होता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:
1. सामाजिक अपेक्षाएँ – पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वे भावनात्मक रूप से मजबूत रहें, जिससे वे अपने दुख को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते।
2. भावनाओं को छिपाने की प्रवृत्ति – पुरुष अक्सर उदासी या निराशा के बजाय क्रोध, चिड़चिड़ापन और आक्रामकता के रूप में डिप्रेशन को प्रदर्शित करते हैं।
3. मदद मांगने से परहेज – महिलाएँ आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सहायता लेने में अधिक सहज होती हैं, जबकि पुरुष इसे कमजोरी समझ सकते हैं और चिकित्सा सहायता से बच सकते हैं।
4. नशे की प्रवृत्ति – पुरुषों में डिप्रेशन के कारण शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करने की संभावना अधिक होती है।
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पुरुषों में डिप्रेशन के लक्षण
डिप्रेशन के लक्षणों को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. भावनात्मक लक्षण (Emotional Symptoms)
डिप्रेशन के कारण पुरुषों में कई भावनात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं:
अत्यधिक उदासी – हमेशा दुखी महसूस करना, चाहे कोई कारण हो या न हो।
अत्यधिक गुस्सा और चिड़चिड़ापन – छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना और दूसरों से लड़ाई-झगड़ा करना।
अपराधबोध और हीन भावना – खुद को बेकार और असफल महसूस करना।
आत्महत्या के विचार – कुछ पुरुष अत्यधिक निराशा के कारण आत्महत्या के बारे में सोच सकते हैं।
दिलचस्पी की कमी – पहले जिन गतिविधियों में आनंद आता था, उनमें रुचि न रहना।
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2. शारीरिक लक्षण (Physical Symptoms)
डिप्रेशन केवल मानसिक स्थिति को प्रभावित नहीं करता, बल्कि इसका असर शरीर पर भी होता है। पुरुषों में इसके कुछ सामान्य शारीरिक लक्षण निम्नलिखित हैं:
थकान और कमजोरी – हमेशा थका हुआ महसूस करना और ऊर्जा की कमी होना।
नींद की समस्याएँ – बहुत ज्यादा सोना या बहुत कम सोना।
भूख में बदलाव – कुछ पुरुष अत्यधिक खाने लगते हैं, जबकि कुछ बिल्कुल खाना छोड़ देते हैं।
सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द – लगातार सिरदर्द, बदन दर्द, और अन्य शारीरिक समस्याएँ।
यौन इच्छाओं में कमी – डिप्रेशन के कारण पुरुषों की यौन इच्छा (Libido) में गिरावट आ सकती है।
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3. व्यवहार संबंधी लक्षण (Behavioral Symptoms)
डिप्रेशन का असर पुरुषों के व्यवहार पर भी पड़ता है। इसका प्रभाव उनके रोजमर्रा के कार्यों पर देखा जा सकता है:
नशे की लत – शराब, सिगरेट या ड्रग्स का अत्यधिक सेवन।
खतरनाक गतिविधियों में शामिल होना – लापरवाही से गाड़ी चलाना, झगड़े करना, या जोखिम भरे फैसले लेना।
काम में रुचि की कमी – ऑफिस का काम करने में मन न लगना और प्रदर्शन में गिरावट आना।
परिवार और दोस्तों से दूरी बनाना – अकेले रहना पसंद करना और सामाजिक गतिविधियों से कट जाना।
अत्यधिक आक्रामकता – छोटी-छोटी बातों पर हिंसक प्रतिक्रिया देना।
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डिप्रेशन के दीर्घकालिक प्रभाव
यदि पुरुषों में डिप्रेशन का इलाज न किया जाए, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
रिश्तों में खटास – परिवार और दोस्तों से दूर हो जाना।
आर्थिक समस्याएँ – काम पर ध्यान न देने के कारण नौकरी जाने का खतरा।
शारीरिक बीमारियाँ – दिल की बीमारियाँ, उच्च रक्तचाप और मोटापा जैसी समस्याएँ।
आत्महत्या का खतरा – पुरुषों में आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में अधिक होती है।
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पुरुषों में डिप्रेशन की पहचान कैसे करें?
यदि कोई पुरुष निम्नलिखित संकेत दिखा रहा है, तो संभव है कि वह डिप्रेशन से जूझ रहा हो:
1. वह हमेशा थका-थका और सुस्त महसूस करता है।
2. उसकी नींद का पैटर्न बिगड़ गया है।
3. वह बहुत अधिक गुस्सैल और आक्रामक हो गया है।
4. वह अधिक शराब या नशे का सेवन करने लगा है।
5. उसे आत्महत्या के विचार आने लगे हैं।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति में दिखे, तो उसे जल्द से जल्द सहायता लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
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डिप्रेशन से बचाव और उपचार
1. पेशेवर सहायता लेना
मनोचिकित्सक से परामर्श लें – काउंसलिंग और थेरेपी से बहुत लाभ मिल सकता है।
दवा का सेवन करें – एंटीडिप्रेसेंट दवाएँ डॉक्टर की सलाह पर ली जा सकती हैं।
2. जीवनशैली में बदलाव करें
नियमित व्यायाम करें – यह तनाव को कम करने में मदद करता है।
संतुलित आहार लें – हेल्दी डाइट मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकती है।
पर्याप्त नींद लें – अच्छी नींद मानसिक संतुलन बनाए रखती है।
3. सामाजिक समर्थन लें
परिवार और दोस्तों से बात करें – अकेले न रहें और अपनी भावनाओं को साझा करें।
समूह चिकित्सा का हिस्सा बनें – अन्य लोगों के अनुभव सुनने से भी राहत मिल जाती है।
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